चीन अब नहीं लगा पाएगा पहले जैसी दौड़
चीन के बाजार में हालिया तेजी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई। मोबियस के अनुसार, चीन उतनी तेजी से रिकवर नहीं कर पाएगा जितनी उम्मीद की जा रही है। इसकी कई वजहें हैं। पहली, चीन की विकास दर पहले जितनी नहीं रही। चीन अब बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। ऐसे में 5%, 6%, 7% की विकास दर हासिल करना मुश्किल है। दूसरी वजह चीन में प्राइवेट सेक्टर पर अभी भी दबाव है। इससे कई सेक्टरों में विकास की रफ्तार धीमी है। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर जैसे कुछ सेक्टर अपवाद हो सकते हैं।भारत का प्रदर्शन होगा बेहतर
मोबियस का मानना है कि भारत हालिया गिरावट से उबर रहा है। आगे भी अच्छा प्रदर्शन करेगा। उनका कहना है कि भारतीय बाजार में जो गिरावट देखी गई, वह सिर्फ एक करेक्शन था। उन्होंने खुद अपने निजी निवेश का 50% हिस्सा भारत में लगाया है। उनका मानना है कि अगले 12 से 18 महीनों में भारतीय बाजार में 20% तक का रिटर्न मिल सकता है।बाजार में इस बात को लेकर चिंता थी कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद टैरिफ बढ़ने से भारत और चीन पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन, मोबियस का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत को फायदा होगा। इससे चीन से भारत में मैन्यूफैक्चरिंग शिफ्ट होगी। चीन में बढ़ती उम्र की आबादी और कम होती विकास दर के कारण वहां फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों की संख्या कम होगी। इसलिए, चीन से भारत में मैन्यूफैक्चरिंग का ट्रांसफर तेज होगा। हालांकि, यह शिफ्ट सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रहेगा। अलबत्ता, दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी होगा। लेकिन, भारत को इससे ज्यादा फायदा होगा।
टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियों में निवेश पर जोर
मोबियस के पोर्टफोलियो में टेक्नोलॉजी सेक्टर का एलोकेशन लगभग 50% है। उनका कहना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्रोथ इसी सेक्टर में है। टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियों की विकास दर ज्यादा है क्योंकि टेक्नोलॉजी से एफिशिएंसी बढ़ती है। प्रोडक्ट्स का टर्नअराउंड तेज होता है।मोबियस ने भारती, 360, पर्सिस्टेंट और APL अपोलो जैसी कंपनियों में अपने निवेश को लंबे समय तक बनाए रखने की इच्छा जताई है। वह भारत में एयरोस्पेस सेक्टर में भी दिलचस्पी रखते हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियों को आगे बढ़ने के लिए दिलचस्प मानते हैं। वह सॉफ्टवेयर कंपनियों के अलावा बैकरूम और पेपर प्रोसेसिंग करने वाली कंपनियों में भी निवेश की तलाश में हैं।