ढाका: बांग्लादेश में चीनी ड्रैगन के खतरनाक प्लान को फेल करने के लिए भारत और जापान साथ आ गए हैं। दक्षिणी बांग्लादेश में जापान और भारत के नेतृत्व में क्वॉड देश विशाल बंदरगाह बना रहे हैं। यह मतारबारी बंदरगाह बांग्लादेश में भारत समेत क्वॉड देशों के लिए चीन के प्रभाव के खिलाफ रणनीतिक धुरी बन सकता है। यह मतारबारी बंदरगाह बांग्लादेश के सोनादिया से उत्तर की ओर बनाया जा रहा है। सोनादिया भी बांग्लादेश में प्रमुख रणनीतिक जगह है जहां पहले चीन भी एक बंदरगाह बनाना चाहता था। हालांकि चीन की यह मंशा पूरी नहीं हो सकी और बांग्लादेश सरकार ने ड्रैगन के इस विचार को खारिज कर दिया।
यही नहीं ने जापान ने एक औद्योगिक हब बनाने का भी प्रस्ताव दिया है जिससे भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों से लेकर नेपाल और भूटान तक विकास की गंगा को बहाया जा सकेगा। चीन के बंदरगाह नहीं बना पाने को राजनीतिक विश्लेषकों ने दक्षिण एशिया में चल रहे ग्रेट गेम में भारत के लिए बड़ी रणनीतिक जीत करार दिया था। भारत जापान का करीबी दोस्त है और वह भी इस जीत में शामिल हो गया। मतारबारी बांग्लादेश का पहला गहरे समुद्र का बंदरगाह है और इसकी अहमियत जापानी प्रधानमंत्री की गत मार्च में हुई भारत यात्रा के दौरान देखी गई थी।
दक्षिण एशिया के 30 करोड़ लोगों को होगा फायदा
यह बंदरगाह मुक्त और स्वतंत्र हिंद प्रशांत अजेंडे के लिए काफी अहमियत रखता है। इसी दौरान जापान की जायका एजेंसी ने बांग्लादेश को 1.2 अरब डॉलर का आधारभूत ढांचे के निर्माण का लोन दे दिया। इससे पहले जापान करोड़ों डॉलर के लोन का वादा कर चुका था। नई दिल्ली में जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका देश बंगाल की खाड़ी से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक 'औद्योगिक वैल्यू चेन' को बढ़ावा देगा ताकि पूरे इलाके के विकास को बढ़ाया जा सके। इस बंदरगाह को बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में बनाया जा रहा है जहां कंटेनर टर्मिनल और बिजली का पॉवर प्लांट भी मौजूद होगा।
इस बंदरगाह के आसपास के समुद्री इलाके को गहरा किया जाएगा ताकि विशाल जहाज और टैंकर भी आ सकें। इससे लौह अयस्क का आयात किया जा सकेगा और बांग्लादेश के कपड़े को दुनियाभर में बड़े पैमाने पर निर्यात किया जा सकेगा। जायका ने कहा कि माताबारी बंदरगाह पानी की गहराई के मामले में ठीक उसी तरह से होगा जैसे श्रीलंका का कोलंबो या सिंगापुर बंदरगाह है। जापान के बांग्लादेश में प्रस्तावित औद्योगिक हब और बंदरगाह से नेपाल और भूटान को भी बड़ा फायदा होने की उम्मीद है जो जमीन से घिरे हुए देश हैं। इससे 30 करोड़ लोगों को फायदा हो सकता है।