रिपोर्ट में कहा गया है, 'इस दौरान भारत को भी काफी फायदा हुआ। अमेरिका का भारत से आयात 36.8 अरब डॉलर बढ़कर 50.5 अरब डॉलर से 87.3 अरब डॉलर हो गया। इससे भारत अमेरिकी आयात में बढ़ोतरी में छठा सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया।'
भारत के निर्यात वृद्धि के प्रमुख कारकों में स्मार्टफोन और दूरसंचार उपकरण शामिल थे। इन्होंने कुल बढ़ोतरी का 6.2 अरब डॉलर (17.2 फीसदी) का योगदान दिया। दवाओं ने 4.5 अरब डॉलर (12.4 फीसदी), पेट्रोलियम तेल ने 2.5 अरब डॉलर (6.8 फीसदी) और सोलर सेल ने 1.9 अरब डॉलर (5.3 फीसदी) का योगदान दिया। सोने के आभूषण और प्रयोगशाला में विकसित हीरे ने मिलकर 2.3 अरब डॉलर जोड़े।
अमेरिका के साथ भारत की भी रह चुकी है तकरार
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी-सक्षम सेवाओं (ITES) के निर्यात पर वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2023-24 में भारत का कुल सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात $205 अरब रहा। इन निर्यातों में अमेरिका की हिस्सेदारी 54 फीसदी और उसके बाद यूरोप की 31 फीसदी रही। ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप H-1B वीजा कार्यक्रम की स्क्रूटनी बढ़ा सकते हैं। अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने इमीग्रेशन को प्रतिबंधित करने के लिए कई उपाय किए थे। इमीग्रेशन पर अंकुश लगाना ट्रंप के प्रमुख चुनावी वादों में से एक था।
ट्रंप के पहले कार्यकाल में डेटा लोकलाइजेशन को लेकर असहमति भारत और अमेरिका के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण थी। भारत ने WTO में बहुपक्षीय समझौतों में डेटा लोकलाइजेशन पर अपने रुख को बदलने का विरोध किया और अपने नियमों को सख्त किया। उदाहरण के लिए अप्रैल 2018 में RBI ने मास्टरकार्ड और वीजा जैसे भुगतान प्रणाली प्रदाताओं को भारतीय निवासियों के पेमेंट डेटा को भारत में ही संग्रहीत करने का आदेश दिया। हालांकि, भारत की ई-कॉमर्स नीति का मसौदा संभवतः अमेरिकी दबाव के कारण रुका हुआ है। इसमें मजबूत लोकलाइजेशन का प्रावधान शामिल है।
भारत के निर्यात वृद्धि के प्रमुख कारकों में स्मार्टफोन और दूरसंचार उपकरण शामिल थे। इन्होंने कुल बढ़ोतरी का 6.2 अरब डॉलर (17.2 फीसदी) का योगदान दिया। दवाओं ने 4.5 अरब डॉलर (12.4 फीसदी), पेट्रोलियम तेल ने 2.5 अरब डॉलर (6.8 फीसदी) और सोलर सेल ने 1.9 अरब डॉलर (5.3 फीसदी) का योगदान दिया। सोने के आभूषण और प्रयोगशाला में विकसित हीरे ने मिलकर 2.3 अरब डॉलर जोड़े।
अमेरिका के साथ भारत की भी रह चुकी है तकरार
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी-सक्षम सेवाओं (ITES) के निर्यात पर वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2023-24 में भारत का कुल सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात $205 अरब रहा। इन निर्यातों में अमेरिका की हिस्सेदारी 54 फीसदी और उसके बाद यूरोप की 31 फीसदी रही। ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप H-1B वीजा कार्यक्रम की स्क्रूटनी बढ़ा सकते हैं। अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने इमीग्रेशन को प्रतिबंधित करने के लिए कई उपाय किए थे। इमीग्रेशन पर अंकुश लगाना ट्रंप के प्रमुख चुनावी वादों में से एक था।ट्रंप के पहले कार्यकाल में डेटा लोकलाइजेशन को लेकर असहमति भारत और अमेरिका के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण थी। भारत ने WTO में बहुपक्षीय समझौतों में डेटा लोकलाइजेशन पर अपने रुख को बदलने का विरोध किया और अपने नियमों को सख्त किया। उदाहरण के लिए अप्रैल 2018 में RBI ने मास्टरकार्ड और वीजा जैसे भुगतान प्रणाली प्रदाताओं को भारतीय निवासियों के पेमेंट डेटा को भारत में ही संग्रहीत करने का आदेश दिया। हालांकि, भारत की ई-कॉमर्स नीति का मसौदा संभवतः अमेरिकी दबाव के कारण रुका हुआ है। इसमें मजबूत लोकलाइजेशन का प्रावधान शामिल है।