बताया गया है कि औद्योगिक नीति में हुए बदलावों का सीधा लाभ युवाओं, किसानों, उद्यमियों और निवेशकों को मिलेगा। संशोधित नीति के मुताबिक जिन उद्योगों में छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार मिलेगा, उन कंपनियों को सरकार की ओर से विशेष अनुदान मिलेगा। इससे स्थानीय रोजगार दर में तेज़ी आएगी और पलायन पर भी अंकुश लगेगा।
हाइड्रोपोनिक और एयरोपोनिक जैसी हाईटेक फार्मिंग तकनीकों को औद्योगिक क्षेत्र में शामिल कर किसानों को आधुनिक उपकरण, ऑटोमेशन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसी तकनीकों से जोड़ा जाएगा। इससे खेती की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ेगी। गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालयों की स्थापना को प्रोत्साहन देकर छत्तीसगढ़ को शैक्षणिक हब के रूप में भी विकसित करने की योजना है। इससे राज्य के छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा के अवसर यहीं उपलब्ध होंगे।
बदलावों से अब ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग एवं सर्विस यूनिट्स को हर विकासखंड समूह में मान्यता दी जाएगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी तकनीकी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। नई लॉजिस्टिक नीति के तहत पूरे राज्य में माल परिवहन को आसान बनाया जाएगा। इससे व्यापारियों को लागत में कमी, समय की बचत और बाजारों तक तेज पहुंच मिलेगी।
खेल प्रशिक्षण और अकादमियों को प्रोत्साहन: राज्य सरकार खेल और युवा सशक्तिकरण को प्राथमिकता देती हुई खेल अकादमी और निजी प्रशिक्षण केंद्रों को प्रोत्साहन देगी। इससे न केवल खेल प्रतिभाओं को मंच मिलेगा, बल्कि स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का विकास भी होगा।
कपड़ा उद्योग को मिलेगा दोगुना प्रोत्साहन: टेक्सटाइल क्षेत्र में निवेश करने वाले उद्योगों को 200% तक का प्रोत्साहन मिलेगा। इससे महिलाओं एवं ग्रामीण कारीगरों को सिलाई, बुनाई और कढ़ाई जैसे रोजगारों में अधिक अवसर मिलेंगे।
बस्तर-सरगुजा में पर्यटन, होटल व्यवसाय को उड़ान
बस्तर और सरगुजा जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में होटल-रिसॉर्ट के निर्माण के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा कम की गई है। इससे इन इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को आजीविका के साधन मिलेंगे। इसके साथ ही प्रदेश में इज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने हेतु निजी सीबीएसई स्कूल और मिनी मॉल को भी थ्रस्ट सेक्टर की तरह मान्यता दी जाएगी।
भास्कर इनसाइट यूपी, गुजरात, आंध्र की तर्ज पर विदेशों से आने वाली कंपनियों को दी जाएंगी रियायतें
कौशल स्वर्णबेर की रिपोर्ट
उद्योग नीति में बदलाव से छत्तीसगढ़ में ग्लोबल निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत विदेशों से मशीनरी के साथ आने वाले उद्योगों को 50 फीसदी तक पूंजी निवेश की श्रेणी में रखा जाएगा। इसके लिए शर्त यह है कि उनकी मशीनें यहां कम से कम पांच साल तक बिना रुके चल सकें। वर्तमान में यह उत्तरप्रदेश, गुजरात और आंध्रप्रदेश में लागू है।
यह यह सुविधा केवल उन विदेशी कंपनियों को दी जाएगी जो खुद या अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों के माध्यम से राज्य में निवेश करेंगी। इसका उद्देश्य चीन, यूरोप व अन्य महंगे बाजारों से दक्षिण एशिया की ओर हो आ रहे उद्योगों के लिए छत्तीसगढ़ को प्रतिस्पर्धी राज्य बनाना है।
इसके माध्यम से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करना, विशेषकर मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो-पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय तकनीकी विशेषज्ञता रोजगार और स्थानीय सप्लाई तंत्र को विकसित करना है। इससे छत्तीसगढ़, मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल के वैश्विक विस्तार का नेतृत्वकर्ता बन जाएगा।
यह संशोधित नीति केवल आर्थिक वृद्धि का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, युवाओं के भविष्य और किसानों के सशक्तिकरण का यंत्र है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ देश के शीर्ष निवेश स्थलों में शामिल होगा।
-विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री