स्वास्थ्य विभाग ने चूंकि रीएजेंट घोटाले का 400 करोड़ का पेमेंट रोक दिया है, उसी पैसों को पाने के लिए उसने मशीनें लॉक करवा दी। वह स्वास्थ्य विभाग को ब्लैकमेल कर रहा था। हालांकि उसे ब्लड सेल वाली मशीनों का 38 करोड़ भुगतान कर दिया गया है। पुलिस अब शशांक के अलावा उसके पिता और कंपनी के सारे इंजीनियरों व तकनीकी स्टाफ के खिलाफ मशीनों को बिगाड़ने और मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का नया केस दर्ज करेगी।
मोक्षित कंपनी का डायरेक्टर शशांक चोपड़ा रीएजेंट घोटाले में अभी जेल में बंद है। उसके खिलाफ ईओडब्ल्यू-एसीबी जांच कर रही है। शशांक ने चार सौ करोड़ से ज्यादा का रीएजेंट सप्लाई करने के लिए शैल कंपनी बनाई। इसके अलावा उसने बाजार मूल्य से कहीं ज्यादा कीमत पर रीएजेंट बेचे।
राज्य में सरकार बदलने के बाद से ही विभागीय स्तर पर रीएजेंट घोटाले की जांच शुरू हो गई थी। उसी समय स्वास्थ्य विभाग ने रीएजेंट का भुगतान रोक दिया था। उन्हीं पैसों को पाने के लिए मोक्षित कंपनी का डायरेक्टर शशांक और उसके पिता शांतिलाल चोपड़ा प्रयास कर रहे थे। सरकारी अस्पतालों में ब्लड सेल मशीनें उसी ने सप्लाई की थी। इसका फायदा उठाकर उसने अपने इंजीनियरों के माध्यम से ये मशीन बंद करवा दी।
शशांक ने अफसरों से कहा था- रीएजेंट का पैसा मिलेगा तब मशीनें चालू करूंगा
ब्लड सेल मशीनें 2022 में मोक्षित कंपनी ने सप्लाई की थी। सभी मशीनें 3 साल तक वारंटी पीरियड में है। इसी बात का शशांक चोपड़ा ने फायदा उठाया। उसने मशीनों का साफ्टवेयर अपडेट नहीं किया। फिर उसने सभी मशीनों में बार कोडिंग कर उसे लॉक करवा दिया। पिछले साल सितंबर से मशीनें एक-एक कर बंद होने लगी।
भास्कर ने ही इसका खुलासा किया था कि जानबूझकर मशीनें बंद की जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने कंपनी डायरेक्टर को बुलाकर उसे मशीनें चालू करने को कहा। उस बैठक में शशांक ने साफ कहा कि जब तक उसे रीएजेंट का भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक वह मशीनें चालू नहीं करेगा।
क्या है पूरा मामला छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान स्वास्थ्य विभाग में सीजीएमएससी के माध्यम से बेहिसाब खरीदी की गई है। ऐसी मशीनें और उपकरण खरीदे गए जिनकी जरूरत या तो नहीं थी कम थी। मोक्षित कंपनी को इस दौरान पूरी तरह से खुली छूट दी गई थी। कंपनी को ही रीएजेंट केमिकल खरीदी का आर्डर दिया गया। इस दौरान एक साथ करीब 400 करोड़ के रीएजेंट की खरीदी कर ली गई थी। इतना रीएजेंट खरीदने के बाद ऐसे हेल्थ सेंटरों और अस्पतालों में सप्लाई किया गया, जहां न तो लैब थे न मशीनें। उसके बाद मोक्षित कंपनी से ही खून जांचने की मशीनें खरीदी गईं।
जांच कर रहे गड़बड़ी में कौन-कौन
सीजीएमएससी के माध्यम से शिकायत की गई है। उसके आधार पर परीक्षण किया जा रहा है। मशीन बंद करने वालों में कौन कौन शामिल हैं, इसकी जांच के बाद अपराध पंजीबद्ध किया जाएगा। डॉ. लाल उमेद सिंह, एसएसपी रायपुर
मशीनें ऐसी सप्लाई की जाे मोक्षित कंपनी के रीएजेंट से ही जांच करे मोक्षित कंपनी और स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन अफसरों ने रीएजेंट और मशीनों की सप्लाई में पूरी प्लानिंग के साथ घोटाला किया। मोक्षित से पहले जरूरत से दोगुना रीएजेंट सप्लाई करवाया गया। उसके बाद उससे हर स्वास्थ्य केंद्र के लिए ब्लड सेल मशीनें खरीदी।
शशांक ने ऐसी मशीनें सप्लाई की जो केवल उसकी कंपनी के रीएजेंट केमिकल से ही खून की जांच करती हैं। यानी अगर कोई चाहे तो भी मोक्षित कंपनी के अलावा दूसरी किसी कंपनी का रीएजेंट न खरीदे। यही वजह है कि उसने रीएजेंट भी बाजार मूल्य से दोगुनी-तिगुनी कीमत पर सप्लाई किया।