तालिबान का नया फरमान, अफगान महिलाओं को यूएन में काम करने से रोका, बताया आंतरिक मामला
Updated on
13-04-2023 07:45 PM
इस्लामाबाद: अफगान महिलाओं के संयुक्त राष्ट्र में काम करने पर पाबंदी लगाने के बाद तालिबान के मुख्य प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान में इस वैश्विक संस्था के काम करने में कोई बाधा नहीं है। पिछले सप्ताह, देश के तालिबान शासकों ने महिलाओं पर पाबंदी लगाने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र मिशन में कार्यरत अफगान महिला कर्मी अब वहां काम नहीं कर सकती हैं। देश की खुफिया एजेंसी इस पाबंदी को लागू कर रही है जो कंधार में तालिबान नेतृत्व को रिपोर्ट करती है।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह फैसले को स्वीकार नहीं कर सकता और उसने इसे गैरकानूनी तथा महिला अधिकारों का हनन बताया है। वैश्विक संस्था ने कहा कि लाखों अफगान महिलाओं को जीवनरक्षक सहायता उपलब्ध कराने में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं तथा इसने इस देश में इसके पुरुष व महिला कर्मियों को घर पर ही रहने का निर्देश दिया है। तालिबान नीत सरकार के मुख्य प्रवक्ता और सर्वोच्च नेता के करीबी जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफगान महिलाओं को संयुक्त राष्ट्र में काम करने से रोकने का फैसला आंतरिक मामला है।
'भेदभाव नहीं हो रहा'
उन्होंने आगे कहा कि हर किसी को इसका पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस फैसले का यह मतलब नहीं है कि यहां भेदभाव हो रहा है या संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों को रोका जा रहा है। इसके विपरीत हमलोग अपने देश के सभी नागरिकों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक हितों को ध्यान में रखते हुए उनके अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ वैश्विक संस्था के एक बयान के मुताबिक, देश में संयुक्त राष्ट्र मिशन प्रमुख रोजा ओतुनबायेवा ने पाबंदी के खिलाफ एक समीक्षा प्रक्रिया शुरू की है जो पांच मई तक चलेगी।
लाखों अफगान होंगे प्रभावित
इस अवधि के दौरान संयुक्त राष्ट्र आवश्यक परामर्श करेगा, कामकाज से जुड़ा जरूरी समायोजन करेगा और सभी संभावित नतीजों के लिए आकस्मिक योजनाओं पर कार्य करने में तेजी लाएगा। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यालय ने बुधवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘पहले से ही, अपर्याप्त संसाधनों के चलते खाद्य वस्तुओं में आधी कटौती की गई है। यदि तुरंत वित्तपोषण सुनिश्चित नहीं होता है तो लाखों अफगान प्रभावित होंगे।’’