आखिर टू-टियर टेस्ट सिस्टम कौन-सी बला है? बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के बीच क्यों लागू करना चाहते हैं रवि शास्त्री
Updated on
01-01-2025 05:06 PM
नई दिल्ली: बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के रोमांच को देखते हुए भारतीय सीनियर पुरुष क्रिकेट टीम के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट के लिए टू-टियर टेस्ट सिस्टम लागू करने की मांग की है। इससे टेस्ट क्रिकेट के रोमांच को बरकरार रखने और क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट को बचाने में मदद मिलेगी। शास्त्री का यह बयान उस समय आया है जब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉक्सिंग डे टेस्ट में 5 दिनों के दौरान रिकॉर्ड 3,73,691 दर्शक आए। यह ऑस्ट्रेलिया में किसी टेस्ट मैच का अब तक का सबसे ज्यादा देखा गया मैच बन गया। इससे पहले 1936/37 की एशेज सीरीज में 3,50,534 दर्शक आए थे।
रवि शास्त्री ने द ऑस्ट्रेलिया के लिए अपने कॉलम में लिखा- लगभग एक सदी पुराने रिकॉर्ड को तोड़ना यह साबित करता है कि जब बेहतरीन टीमें खेलती हैं तो क्रिकेट का सबसे कठिन और शानदार प्रारूप आज भी जिंदा है। यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को यह याद दिलाने जैसा है कि टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए सर्वश्रेष्ठ टीमों को एक-दूसरे के खिलाफ खेलना चाहिए। अन्यथा यह सब बहुत उलझन भरा हो जाता है। उन्होंने आगे कहा- यह मैच यह भी दिखाता है कि हमें 6-8 शीर्ष टीमों के लिए टू-टियर टेस्ट सिस्टम की जरूरत है। अगर दो अच्छी टीमें नहीं खेलेंगी तो इतने दर्शक नहीं आएंगे। उन्होंने कहा- पांचवें दिन का रोमांच इस बात का सबूत है कि क्लासिक टेस्ट मैच के लिए पांच दिन जरूरी हैं। हालांकि, अगर आप टू-टियर टेस्ट सिस्टम नहीं बनाएंगे तो बराबर की टीमें नहीं एक-दूसरे से नहीं खेलेंगी। तब मैच का पांचवें दिन तक पहुंचना मुश्किल होगा। फिर चार दिन के टेस्ट की बात बार-बार उठेगी। उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग डे टेस्ट 184 रनों से जीता और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 2-1 की बढ़त बना ली। इस सीरीज का पांचवां और अंतिम टेस्ट 3 जनवरी से सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेला जाएगा। 1983 की विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे शास्त्री ने कहा कि मेलबर्न में खेला गया यह रोमांचक टेस्ट मैच यह भी साबित करता है कि टेस्ट मैच पांच दिनों के लिए ही खेले जाने चाहिए।
आखिर क्या होता है टू-टियर टेस्ट सिस्टम? दरअसल, 2016 में आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट के लिए टू-टियर टेस्ट सिस्टम का प्रस्ताव रखा था, लेकिन सितंबर 2016 में दुबई में हुई बैठक में इसे वापस ले लिया गया। 2016 के अनुसार, आईसीसी रैंकिंग की टॉप-7 रैंक वाली टीमों को पहले लेवल पर रखने का प्रस्ताव था। यानी ये वो टीमें थीं, जो एक-दूसरे के खिलाफ खेलतीं। दूसरी ओर, दूसरे लेवल पर अन्य 3 टीमों को रखना था जो आपस में खेलतीं। उस समय इसे खारिज कर दिया गया था, क्योंकि इस नियम से माना गया कि टेस्ट क्रिकेट से छोटी टीमें खत्म हो सकती हैं।
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