डोनाल्ड ट्रंप से मिले प्रधानमंत्री मोदी तो बांग्लादेश पर बात करना जरूरी, भारतीय एक्सपर्ट ने क्यों की मोहम्मद यूनुस के पर कतरने की मांग

Updated on 12-02-2025 04:41 PM
वॉशिंगटन: शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में अराजकता की स्थिति है। जिहादी तत्वों ने इस इस्लामिक देशों में सर उठाना शुरू कर दिया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय खतरा मंडरा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति के लिए भी ये एक चुनौती बन गई है, क्योंकि पूर्ववर्ती बाइडेन प्रशासन ने इस स्थिति का समर्थन किया था। इन सबके बीच भारत के प्रसिद्ध जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने द हिल में लिखे एक लेख में कहा है कि बांग्लादेश का मुद्दा भारत और अमेरिका के संबंधों के लिए एक नाजुक मुद्दा बनकर उभरा है। उन्होंने कहा है कि इस हफ्ते जब वाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और नरेन्द्र मोदी के बीच बैठक होगी, तो बांग्लादेश के मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हो सकती है।

ब्रह्मा चेलानी ने लिखा है कि बांग्लादेश में नये शासन को 84 साल के मोहम्मद यूनुस चला रहे हैं, जिन्होंने साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत को 'सूर्य ग्रहण' और 'काला दिन' बताया था। चेलानी के मुताबिक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की सिफारिश पर ही मोहम्मद यूनुस को शांति का नोबल पुरस्कार मिला था और इस तथ्य को नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष ने अपने पुरस्कार समारोह भाषण में स्वीकार किया था।

मोहम्मद यूनुस के पीछे अमेरिका की लॉबी

जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने कुछ हफ्ते पहले ही बांग्लादेश जाकर मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की है। इस दौरान उन्होंने यूनुस की योजनाओं को अपना समर्थन दिया है। इसके अलावा एलेक्स सोरोस का कहना रहा है कि 'ट्रंप हर उस चीज के साथ खड़े रहते हैं जिनपर हम विश्वास नहीं करते हैं।' उन्होंने बांग्लादेश के शासन को लगातार समर्थन देने के लिए ट्रंप प्रशासन के साथ 'लड़ाई करने' की कसम भी खाई है। देश में हिंसक जिहाद के बावजूद ये लॉबी मोहम्मद यूनुस का समर्थन कर रहा है। इससे पहले सितंबर में जॉर्ज सोरोस ने न्यूयॉर्क से मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की थी। मोहम्मद यूनुस को जॉर्ज सोरोस के खेत की फसल कहा जा सकता है, जिनका एंटी-इंडिया होना पहली शर्त है।

दूसरी तरफ बांग्लादेश में अराजकता किस हद तक पहुंच चुकी है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले हफ्ते शेख हसीना के पार्टी के कार्यकर्ताओें के खिलाफ पूरे देश में हमले किए गये। शेख हसीना के मारे गए पिता शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियां तोड़ी गईं, जलाई गईं। इस्लामिक भीड़ ने शेख हसीना के निजी आवास और उनकी अवामी लीग पार्टी के कई नेताओं के घरों को भी लूटा और जला दिया। इस दौरान बांग्लादेश की पुलिस ने कुछ नहीं किया। भीड़ उनके सामने उत्पात मचाती रही। उस स्मारक पर भी हमला किया गया, जहां 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की गई थी। जब स्मारक को पहली कोशिस में जला नहीं पाए तो उसके दो दिनों के बाद बुलडोजर से उसे तोड़ डाला। इस दौरान इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के झंडे लहरा रहे थे।

बांग्लादेश में कायम हो चुका है आतंक का राज

बांग्लादेश में पिछले हफ्ते देशभर में हुई हिंसा को लेकर बांग्लादेशी मीडिया ने इस बात पर जोर दिया है, कि मोहम्मद यूनुस का प्रशासन शासन व्यवस्था को बहाल करने के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए भी संघर्ष करने लगा है। शेख हसीना के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था कमाल कर रही थी। उनकी सरकार ने लाखों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला था। लेकिन अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार बुरी तरह से गिरना शुरू हो चुका है और देश के ऊपर विदेशी कर्ज का बढ़ना शुरू हो चुका है। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि अब बांग्लादेश ने बेलऑउट पैकेज तक मांगना शुरू कर दिया है। शेख हसीना ने अपने शासनकाल के दौरान जिहादियों को कंट्रोल में रखा। इस्लामवादियों के वर्चस्व को सीमा में रखा लेकिन साजिशों के साथ उनकी सरकार को गिरा दिया गया।

लेकिन जब हिंसक प्रदर्शन को कंट्रोल करने के लिए शेख हसीना की पुलिस ने दंगाइयों के ऊपर गोली चलाई तो भीड़ ने दर्जनों पुलिसवालों को पीट-पीटकर मार डाला। कई शवों को पेड़ों से लटका दिया गया। कथित तौर पर इस हिंसा में कुल 858 लोग मारे गए, जिसे यूनुस शासन और उसके समर्थकों ने "क्रांति" का नाम दिया। सेना ने हिंसा का इस्तेमाल कर शेख हसीना को उनके इस्तीफा देने से पहले ही भारत भेज दिया। ऐसे में ब्रह्मा चेलानी का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी को बांग्लादेश के मौजूदा हालात को लेकर डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत करनी चाहिए। नवंबर महीने अमेरिकी चुनाव से कुछ ही दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप ने पोस्ट किया था, कि "मैं हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं, जिन पर बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हमला किया जा रहा है और लूटपाट की जा रही है, जो पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में है।"

'बांग्लादेश को लेकर मोदी करें ट्रंप से बात'

ब्रह्मा चेलानी का मानना है कि बांग्लादेश अब वास्तविक तौर पर पाकिस्तान बनता जा रहा है, जिससे वो 1971 में खूनी संग्राम के बाद अलग हुआ था। जिसमें पाकिस्तानी सेना के नेतृत्व में किए गए नरसंहार में 30 लाख नागरिक मारे गए थे। चेलानी का कहना है कि बांग्लादेश में मौजूदा हिंसा और अराजकता भारत की सुरक्षा को प्रभावित करती है। भारत में पहले से ही लाखों अवैध बांग्लादेशी रहते हैं। वहीं, मौजूदा हिंसा से भारतीय सीमा पर प्रेशर बढ़ेगा। वहीं मोहम्मद यूनुस के प्रशासन ने जिन आतंकवादियों को जेल से रिहा कर दिया है, उनके भी भारतीय सीमा में दाखिल होने की आशंका बढ़ गई है।

ब्रह्मा चेलानी का कहना है, कि डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ विश्वसनीय रिश्ता बनाना चाहते हैं और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने तालमेल को और मजबूत करना चाहते हैं। लिहाजा ट्रंप का प्रशासन बाइडेन की बांग्लादेश नीति को पलटने का काम कर सकता है। चेलानी ने लिखा है कि "यदि अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को एशिया में शक्ति के स्थिर संतुलन को आगे बढ़ाना है, तो दोनों शक्तियों को आपसी विश्वास बनाने में मदद करने के लिए भारत के अपने पड़ोस में एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाना होगा।"

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